બજેટ સત્રનો બીજો દિવસ.

મુખ્યમંત્રી યોગી આદિત્યનાથને કહ્યું કે મહાકુંભના દ્વાર કોગા અફવાહ ફેલાતા લોકોના આસ્થા કામાન અપમાન કરી રહ્યા છે. अब तक महाकुंभ में 56 करोड़ से भी ज्यादा लोग स्नान कर रहे हैं। તેમણે કહ્યું કે મહાકુંભ કોઈ પણ સરકારનો જવાબ નથી.

यह सनातन संस्कृति का आयोजन है। महाकुंभ पर अफवाह फैलाने वाले और अनर्गल आरोप लगाने वाले सनातन आस्था का अपमान कर रहे हैं। इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी विधानसभा में महाकुंभ पर संक्षिप्त चर्चा में जवाब दे रहे थे।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सपा के लोग महाकुंभ का पहले दिन से ही विरोध कर रहे हैं। इनकी एक सहयोगी ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहा है। इसी तरह राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने इसे फालतू की बात कहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि महाकुंभ की भगदड़ में हजारों लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि अगर सनातन संस्कृति का पालन करना अपराध है तो हम से अपराध हजार बार करेंगे। उन्होंने सपा पर हमला करते हुए कहा कि संक्रमित व्यक्ति का उपचार हो सकता है संक्रमित सोच का कोई उपचार नहीं है। महाकुंभ महान आयोजन है। महान कार्य को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। उपहास से, विरोध से और स्वीकृति से। स्वीकृति का इससे अधिक प्रमाण क्या हो सकता है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद चुपचाप जाकर महाकुंभ में डुबकी लगा आए।

क्या मुंशी प्रेमचंद कठमुल्ला थे? उर्दू को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने सीएम योगी से पूछा सवाल

 

यूपी विधानसभा की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा को शामिल करने का विरोध करने और उर्दू को भी शामिल करने की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा का विरोध नहीं करते हैं जिसे पढ़ना हो पढ़े पर सदन की कार्यवाही में इसे शामिल नहीं करना चाहिए। ऐसा होने पर ज्यादातर सदस्य इसे समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सपा पर कठमुल्ला पैदा करने का आरोप लगाने पर कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि गोरखपुर में उर्दू के बड़े शायर हुए रम्पत शाह फिराक क्या वो कठमुल्ला थे? क्या उर्दू में उपन्यास लिखने वाले कठमुल्ला थे? क्या विश्वविद्यालयों में उर्दू विभाग में पढ़ने वाले कठमुल्ला हैं? क्या अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लोग कठमुल्ला हैं? मैं इस शब्द पर आपत्ति करता हूं।। उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी का विरोध नहीं कर रहे हैं पर ये चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही में अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी के साथ उर्दू और संस्कृत को भी शामिल किया जाए। सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी का प्रयोग उचित नहीं है। अंग्रेजी न तो हमारी संस्कृति की भाषा है और न ही राजभाषा है।

 

 

बता दें कि सदन की कार्यवाही में उर्दू भाषा को भी शामिल करने की मांग करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराज हो गए थे और कहा कि सपा के नेता अपने बच्चों को तो अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं पर दूसरों को उर्दू पढ़ाना चाहते हैं। सपा के लोग देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं।

 

 

वहीं, इस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में जवाब दिया कि हम अंग्रेजी भाषा को किसी पर थोपना नहीं चाहते हैं और न ही हम हिंदी भाषा को कमजोर कर रहे हैं। हमारी पार्टी का स्पष्ट मत है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाए। अंग्रेजी के महत्व को देखते हुए हम सदस्यों को सुविधा दे रहे हैं। अंग्रेजी भाषा किसी पर भी थोपी नहीं जा रही है। सदन का कार्य हिंदी भाषा में ही होगा। सदस्यगण अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी में अपना संबोधन कर सकते हैं।

विपक्ष की मांग बिजली के निजीकरण को रोका जाए, ऊर्जा मंत्री बोले- कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखेंगे

 

इसके पहले, सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने पर विपक्ष ने विधान परिषद में बिजली के निजीकरण का मुद्दा उठाया और कहा कि इससे बिजली के दाम बढ़ जाएंगे। विपक्ष के नेताओं ने कहा कि बिजली विभाग के पास किसी भी निजी कंपनी से ज्यादा अनुभव है। निजीकरण को तत्काल रोका जाए।

विपक्ष के आरोपों पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बयान दिया कि बिजली का निजीकरण राज्य के लिए जरूरी है। हम कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखेंगे और जो कि राज्य और जनता के हित में है वो करेंगे। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 2017 में जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो बिजली विभाग पर एक लाख 42 हजार करोड़ घाटे में था जिसे हम कम करने का प्रयास कर रहे हैं। सपा ने जब सरकार छोड़ी तो राज्य में डेढ़ लाख मजरे विद्युतीकरण से बाकी थे। उन्होंने कहा कि यह सच है पिछली सरकारों के कुप्रबंधन और हमारी सरकार के सुधार के प्रयासों के बावजूद बिजली विभाग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से बिजली के दाम नहीं बढ़ेंगे।

कर्मचारियों की भविष्य की चिंता पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हम उनके हितों का पूरा ध्यान रखेंगे। उन्हें अलग-अलग निगमों में समाहित करेंगे। हम जो भी कर रहे हैं वो प्रदेश की जनता को 24 घंटे बिजली देने के लिए कर रहे हैं। राज्य की जनता के हितों को ध्यान में रखकर कर रहे हैं।

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jamnagaruday
Author: jamnagaruday

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